हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। यह हमें एकता के सूत्र में बाँधती है। एकता में ही जीत है, प्रगति है और समृद्धि भी है। हमारा गर्व-भाव और भी बढ़ जाएगा यदि हमें अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी का भी ज्ञान हो।
यह पुस्तक-शृंखला आपके हाथों में सौंपते हुए हमें अपार प्रसन्नता हो रही है। हमारा प्रयास है कि भारत के जिन क्षेत्रों में हिंदी प्रथम भाषा नहीं है, वहाँ के विद्यार्थी और स्वयंपाठी आसानी से हिंदी सीख सकें। इसलिए पुस्तक की भाषा को सरल एवं सुबोध रखा गया है। हिंदी के प्राथमिक ज्ञान के लिए उन शब्दों को चुना गया है जो अहिंदी-भाषी क्षेत्रों में भी आसानी से जाने-पहचाने जाते हैं।
ध्वनियों का ज्ञान करवाने के लिए रोमन वर्णों का प्रयोग किया गया है। सुनने में एक जैसी प्रतीत होने वाली ध्वनियों के बीच के अंतर को स्पष्ट करने के लिए लिप्यंतरण संकेतों का व्यापक प्रयोग किया गया है।